अपना आकार बदल रहा है कोरोना वायरस, शोध में माना गया अच्छा

अपना आकार बदल रहा है कोरोना वायरस, शोध में माना गया अच्छा

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच हर दिन नए शोध और अध्ययन सामने आ रहे हैं। खासतौर पर वायरस के म्यूटेशन को लेकर अबतक कई तरह के शोध हो चुके हैं, जिनमें वायरस के रूप बदलने के बारे में जानकारी सामने आई है। अब ऐसे ही एक नए शोध अध्ययन में इस वायरस के बारे में बिल्कुल नई जानकारी सामने आई है।

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हेल्थ जर्नल साइंस में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद वायरस का आकार बदलता है। इसकी वजह स्पाइक प्रोटीन बताई गई है। शोध में कहा गया है कि वायरस का स्पाइक प्रोटीन संक्रमित मानव शरीर में पहुंचने के बाद लंबे रॉड का आकार ले लेता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस पर यह नई जानकारी वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित होगी।

स्पाइक प्रोटीन क्या होता है?

कोरोनावायरस की बाहरी सतह पर क्राउन (मुकुट) की तरह दिखने वाला जो हिस्सा होता है यहां से वायरस प्रोटीन को निकालता है। इसे स्पाइक प्रोटीन कहते हैं। इसी प्रोटीन से संक्रमण की शुरुआत होती है। यह इंसान के एंजाइम एसीई2 रिसेप्टर से जुड़कर शरीर तक पहुंचता है और फिर अपनी संख्या बढ़ाकर संक्रमण को बढ़ाता है।

अमेरिका के बॉस्टन चिल्ड्रेन अस्पताल की ओर से किए गए इस शोध में कहा गया है कि शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए कोरोना वायरस, स्पाइक प्रोटीन के जरिए कोशिकाओं को जकड़ता है। कोशिकाओं को संक्रमित करने के साथ ही वायरस तेजी से अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है और मरीज की हालत गंभीर होती जाती है।

बॉस्टन चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल के शोधकर्ता डॉ. बिंग चेन और उनकी टीम ने क्रायोजेनिक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से वायरस का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि स्पाइक प्रोटीन संक्रमण के बाद अपना आकार बदलता है। उन्होंने देखा कि संक्रमण के पहले वह किसी और आकार का है और संक्रमण के बाद यह कुछ और ही दिख रहा है।

ट्रायंगल यानी त्रिभुज की तरह दिखने वाला स्पाइक प्रोटीन संक्रमण के बाद किसी सख्त हेयरपिन की तरह नजर आ रहा है। यह बदलाव मानव शरी के ACE2 रिसेप्टर के संपर्क में आने के बाद शुरू होता है। संक्रमण के बाद स्पाइक प्रोटीन का रॉड आकार एंटीबॉडीज को वायरस को निष्क्रिय करने में मदद कर सकता है।

डॉ. चेन के मुताबिक, स्पाइक प्रोटीन का आकार बदलना यह बताता है कि वायरस किसी भी सतह पर कुछ समय के लिए जिंदा रहता है। इसका बदला हुआ आकार इंसान के इम्यून सिस्टम को गंभीर संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। संक्रमण के बाद वाला प्रोटीन का रॉड आकार वायरस को न्यूट्रल करने में एंटीबॉडी की मदद कर सकता है।

 

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